SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3079
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॐ भावार्थ पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र 488+ 全等 असण्णि णो, सेसं तहेव एवं सोलेसुवि जुम्मेसु परिमाणं तहेव ॥ सेवं भंते! तेत्ति एवं एत्थवि एक्कारस्त उद्देऩगा तहेव, पढमो तइयो पंचमो य सरिमगमगा; सेसा अट्ठावि सरिसगमगा, चउत्थ छट्ठट्ठम दसमेसु णत्थि विसेसो कोइवि, सेवं भंते! भंतेति ॥ पढमं पंचिदिय महाजुम्म सयं सम्मतं ॥ ४० ॥ १ ॥ कण्हलेस कडजुम्म २ सण्णि पंचिदियाणं भंते ! कओ उववज्जंत्ति ? तहेत्र पढमुद्देसओ सणीणं णवरं-बंधो, बेओ, उदयी, उदीरणा, लेस्स बंधग- सण्ण-कसाय-वेद बंधगाएयाणि जहा बेइंदियाणं ॥ कण्हलेस्साणं वेदो तिविहो अदगा णत्थि, सचिणाजहणणं एवं समयं उक्कोसेणं तेन्तीसं सागरोवमाइं अंतो मुहुत्त मन्भहियाई ॥ एवं } यों यहां पर भी अग्यारह उदेशे वैसे ही कहना. पहिला तीसरा व पांचवा सरिखा जानना और शेष आठ बद्देशे सरिखे जानना. चौथा, छठा, आठवा व दशवा उद्देशे में किसी प्रकार की विशेषता नहीं हैं. अहो { भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यह पहिला पंचेन्द्रिय महायुग्म शतक संपूर्ण हुवा. ॥ ४० ॥ १ ॥ * अहो भगवन् ! कृष्ण लेश्या वाले कृत युग्म २ संज्ञी पंचेन्द्रिय कहां से उत्पन्न होते हैं ? अहो गौतम ! {संज्ञीका पहिला उद्देशा जैसे सब कहना परंतु बंध, वेद, उदय उदीरणा, लेश्या, बंधक, संज्ञा, कषाय, वेद {बंधक ये बेइन्द्रिय जैसे कहना. कृष्ण लेश्या में वेद तीनों प्रकार का अवेदक नहीं हैं. संचिणा अन्य 48* चालीसा शतकका दूसरा उद्देशा +9 २०६१
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy