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पंचमान विवाह पण्मति ( अपवति) सद
समोहएत्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते अपजत्ता वादर तेउकाइयत्ताए उववाजित्तए सेणं भंते ! कति समए, सेसं तंचेव, एवं पजत्त वायर तेउकाइयत्ताए उवावएयव्वो; वाउकाइयत्ताए वणस्सइकाइएत्ताए जहा पुढविकाइएसुवि, तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववातयन्वो ॥ एवं पज्जत्ता बादर तेउकाइओवि समयखेत्ते समोहणावेत्ता, एएसु बीसाएटोणेसु उववातेयवो, जहेव अपजत्तओ उवावतिओ एवं सव्वत्थवि । वादर तेउकाइया पजत्तगाय अपजत्तगाय समयखेत्ते उववातेयव्यो,समोहणावियव्वावि २४ ० ॥ वाउक्काइया ३२० ॥ वणस्सइकाइयाय जहा पुढवाकाइया ४०० ॥ तहेव चउक्कएणं और बादर के पर्याप्त, अपर्याप्त तेउकाया यों दो भेद. अहो भगवन् !अपर्याप्त वादर तेउकाया मनुष्य क्षेत्र में मारणांतिक समुद्धात करके मनुष्य क्षेत्र में अपर्याप्त पादर ते उकायापने उत्पन्न होने योग्य हो वह कितने समय में उत्पन्न होवे शेष बैसेडी.योंपर्याप्त बादर तेउकाया का उपपात जानना. वायुकाया व पनस्पतिकाया में पृथ्वीकाया जैसे चार २ भेद से उपपात कहना. यों पर्याप्त वादर तेउकाया का मनुष्य क्षेत्र में से मारणांतिक समुद्धात करके उत्पन्न होने के २० आलापक जानना. यों तेउकाया के ४० आला •क हुए सब मील १२४० हुए. वायुकाया के ८० और वनस्पति काया के ८० पृथ्वी काया जैसे कहना. सब मीलकर ४०० १. "
' 4.१०चौतीसवा शतक का पहिला उद्देशा 4028
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