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________________ २९८९ पंचमा विवाह पणात भगवती । मंत्र बइविहाणं भंते ! एगिदिया पण्णता! गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पणती तंगहा. पुढ़वीकाइया जाव वणरसइकाइया ॥ एवं मेतेवि चउक्कएणं भेदेणं भाणियचा जाव वणस्सइकाइया ॥ १ ॥ अपजता सुहुम पुढवा काइयाणं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढबोए पुरस्थिमिले चरिमंते समोहए समोहएता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिले चरिमंते अमजता सुहुम पुढवीकाइयत्ताए उक्वजित्तए, सेणं भंते ! कइ समएइणं विग्गहेणं उववज्रजा? गोयमा ! एगसमइएणवा, दुसमइएणवा, तिसमइएणवा, बिग्गहेणं उवकलेजा ॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ एग समइणका । तैतीसवे शतक में एकेन्द्रिय का कथन किया, चौतीसवे शतक में भी एकेन्द्रिय का कथन प्रकारांतर से करते हैं. अहो भगनन् ! एकेन्द्रियं कितने कहे हैं ? अहो गतम ! एकेन्द्रिय पचि कहे है. पृथ्वीकाया मावतू बनस्पतिकाया, यो एकेकके चार २ भेद से वनस्पतिकाया पर्यंत कहना. ॥॥ अहाँ भगवनू ! इस रकममा पृथ्वी के पूर्वके चरिमति में अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाया मारणांतिक समुद्धात से काल कर के इस रनमभा पृथ्वीकाया के पश्चिम के चरिमांत में अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायापने उत्पन्न होने योग्य होवे दे कितने समय की विवागवि उत्पन होवे ? भो गौवम! एक समक, दो- समय अथवी बीन Nag चौतीमा सतक की पहीला अशा भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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