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________________ २१९० दुसमइएणवा जाव उववज्जेज्जा ? एंव खलु गोयमा ! मए सत्तसेढीओ पण्णचाओ तंजहा-उज्जुआयता, सेढी, एगओ वंक, दुहओ वंका, एगओ खुहा, दुहओ खुहा, चकवाला, अडचक्कवाला ॥ उज्जुआयया सेढीए उववजमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उबवजेजा ॥ एगओ वंकाएसेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्ग्रहेणं उववजेजा, दुहओ बंकाए सेढीए उववजमाणे तिसमइएणं विरग्गहेणं उबवज्जेज्जा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव उववज्जेजा॥१॥अपजता हुम पुढवीकाइयाणं भंते! इमीसे रयणप्पभाए 4.2 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिनरी * प्रकाशक-राजाबहादुरलाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी # भावार्थ समय की विग्रह गति से उत्पन्न होवे. अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया है कि एक समय दो। समय व तीन समय की विग्रहगति से उत्पन्न हो? अहो गौतम! मैंने श्रेणियों सात कही हैं जिन के नाम११ रुजुभायता श्रेणि, यह मरण स्थान से उत्पत्ति स्थान पर्यन्त समश्रेणि रहती है. २ जो मरंण स्थान नीकलते वक्र व उत्पत्ति स्थान में प्रवेश करते सहल वह एक वक्र श्रेणि, जो नीकलते भी वक्र व प्रवे करते भी वक्र नह दो वक्र श्रेणि, ४ जो मरण स्थान व उत्पत्ति स्थान उपर या नीचे होकर एक तरफ ट्टी जो उपर या अधों अथवा अधो या उपर गमन होवे वह दोनों तरफ टीजो वर्तुलाकार में परिभ्रमण करे वह पूर्ण चक्रवाल श्रेणि और ७ जो अर्ध चक्रमाला होवे सो अर्ध चक्राकार श्रेणि. इन सातश्रेणि
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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