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शब्दार्थ देखो गो० गौतम पु. पूर्व सं. मित्रको के किनको भ० भगवन् खं० खंदक को का० किसवक्त कि०
किसतरह के० कितने वक्त में ए० ऐसा गो० गौतम ते. उस समय में सा० सावत्थी न० नगरी ग• गर्दभालि का अं० अंतेवासी खं० खंदक का० कात्यायन गोत्रीय प०परिव्राजक प० रहता है उ० उनको जा० यावत् म० मेरीपास पां० निश्चय किया ग० आने को से० वह अ० नजदीक ब० बहुत नजदीक अ० मार्ग में प० रहाहुवा अं• रस्ते में व० रहा है अ० आजही दि० देखेगा ॥ १० ॥ भ० भगवान् गो०
हवा,केवच्चिरेणवा? एवं खलु गोयमा! तेणंकालेणं तेणंसमएणं सावत्थी णामं णयरी होत्था, वण्णओ, तत्थणं सावत्थीए नगरीए गहभालिस्स अंतेवासी खंदए णामं कच्चायणसगोत्ते परिव्वायए परिवसइ तंचेव जाव जेणेव मम अंतिए तेणेव पाहारेच्छ गमणाए सेअदूरामए
बहुसंपत्ते, अडाणपडिवण्णे अंतरापहे वदृइ अजेवणं दिच्छसि गोयमा ! ॥१०॥भंतेत्ति भावार्थ पूर्व संगतिवाला कौनसा मित्रको मैं देखूगा ? तब श्री भगवन्त बोले की तू खंदक को देखेगा. तब गौतम
स्वामी बोले की किस समय, किस प्रकार व कितनी देर में मीलेगा ? तब श्री भगवन्त बोले की उस all
काल उस समय में श्रावस्ती नामक नगरी में गर्दभाली परिव्राजकका शिष्य कात्यायन गोत्रीय खंदक " नामक परिव्राजक रहता है. उन को पिंगलक निग्रंथने प्रश्न किया. जिस का उत्तर नहीं दे सकने से अ. 15 मेरी पास आरहा है. वह अभी रस्ते के मध्य में है और उसे तू आज ही देखेगा ॥ १० ॥ श्री गौतम ।
१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी 12
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्यालापतादजी *