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"तंजहा दवविउसग्गेय, भावविउसग्गे ॥ से कितं दव्यविउसग्ग ? दुखविउसगे चाउम्विहे प• तंजहा गणविउस्सग्गे, सरीर विउसग्गे, उवहिविउसग्गे, मरापणवि. उमग्गे, सेतं दबचिउसग्गे ॥से किंतं भावविउसग्गे ? भावविउसग्गे तिविहे पपणते तंजहा कसाय विउसग्गे, ससारबिउसगे, कम्मबिउसागे ॥ से किंतं कसाय विउसो ? कसाय विउसग्गे चउबिहे १० तंजहा कोहविउसग्गे, माणविउसग्गे, मायाविउसगे, लोभविउसग्गे । सेतं कसाय विउमागे ॥ से किंसं संसार विउसग्गे
संसार बिउसग्गे चउबिहे पण्णन्ते तंजहा-णेरड्य संसार विउसग्गे, जाव देव संसार भावार्थ E के दो भेद कहे . . द्रव्य विउत्सर्ग और २ भाव चिनमर्ग द्रव्य विउत्सर्ग के कितने भेद को है ! ट्रम्प
विउत्सर्ग चार भेद को हैं. गणविउत्सर्ग, शरीर विउत्सर्ग, उपधि विसर्ग और मक्तपान विउत्सर्ग. यह दव्य विउत्सर्ग हुवा. भाव मिउत्सर्ग किसे कहते हैं ? भाव विउत्सर्ग के तीन भेद कहे हैं. १ कपा
विउत्सर्ग २ संसार विउत्सर्ग और ३ कर्म विउत्सर्ग कषाय विउत्सर्ग किसे कहते हैं ? कषाय विउत्सर्ग लके चार भेद कहे हैं. क्रोध विउत्सर्ग, मानवित्सर्ग, विउत्सर्ग, माया विउत्सर्ग व लोभ विउत्सर्ग यह कपाय
विउत्सर्म हुवा. संसार विसत्सर्भ के कितने भेद का हैं ? संसार विउत्सर्ग के चार मेद कहे हैं । मारकी
१ अनुवादकबालब्रह्मचारीमान श्री अमोलक ऋषिनीक
काकाचक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी चालान