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________________ 18 पंचमान विवाह पणारी (भगवती ) सूत्र +2 ॥१२॥से कितंझा? झाणे चउन्धिहे पण्णते तंजहा अढेसाणे,रोहेमाणे कामेजमणे,सु. केझाणे,अज्झाणे चउविहे.प.तंजहा अमणुण्ण संपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओग सतिसमण्णागएयावि भवति;मणुण्णसंपओगसंपउरो तस्स अविप्पओगसतिगमण्णागएविभवति,आयक संपओग संपउत्ते तस्स विपओगसतिसमण्णागएयाविभवइ, परिज्जुसियका. मभागसंपउत्ते तस्स अविप्पओग सतिसमण्णागएयाबि भवई ॥ अदृझाणस्स चत्तारि ल. क्षणाप-तं. कंदणया, सोयणया, तिप्पणया, परिदेवणया ॥ रोहेज्झाणे चउन्धिहे प.तं. हिंसापबंधी, मोसाणुबंधी, तेयाणुबंधी, सारक्खणाणुबंधी ।। रोहस्सणं झाणरस चचारि किसे कहते हैं ? ध्यान के चार भेद कहे हैं. १ आर्तध्यान २ रौद्र ध्यान ३ धर्म ध्यान और ४ शुक्ल ध्यान. आर्तध्यान के चार भेद कहे १ अमनोई शब्दादि प्राप्त हुवे हो उस का वियोग चितये २ मनोज्ञ शरद पाप्त हुवे क्षेत्रे उस का अवियोग वांच्छे ३ रोगादि की प्राप्ति होने से उसका वियोग बांच्छे और ४ श्रीतिकारक काम भोगों का संयोग वांच्छे. आर्तध्यान के चार लक्षण करे. .. अक्रंदा करना २ शोक करना ३ रुदन करना और ४ वारंवार सक्लिष्ट बचन बोलना. रौद्रध्यान के चार मेद | क. १हिता का अनुबंध करे २ मृषा का अनुबंध करे, ३ चौरी का अनुबंध करे और ४ विषय संरक्षण भावार्थ वीसपा शतक का सातवा उहंशा +8+. 488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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