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________________ से किंतं लोगोवयाराविणए ? लोगोवयारविणए सत्तविहे १० तं• अब्भासवत्तियं, परछंदाणुवत्तियं, कजहेऊ कयपडिकइया, अतगवेसणया, देसकालणया, सव्वत्थेसु अप्पडिलोमता ; सेत्तं लोगोवयाराविणए, सेत्तं विणए ॥ १० ॥ से किंतं वेयावच्चे ? वेयावच्चे दसविहे प० तं. आयरियवेयावच्चे, उवज्झायवेयावच्चे, थरवेयावच्चे, तवस्सिवेयावच्चे. गिलाण वेयावच्चे, सेहवयावच्चे, कुलवेयावच्चे, गणवेयावच्चे, संघवेयावच्चे, साहम्मिय वेयावच्चे, सेत्तं वेयवच्चे ॥ ११ ॥ से किंतं सज्झाए ? सज्झाए पंचविहे प० तं• वायणा, पडिपुच्छणा, परियट्टणा, अणुप्पेहा धम्मकहा ॥ सत्तं सज्झाए भावाथे गरु की समीप रहने का स्वभाव रखना, सो अभ्यासवर्ती २ गुरु के अभिप्राय से चलना ३ ज्ञानादि निमित्त दानादि देना ४ आत्मग वेषणता ५ देश काल का जानना ६ अराध्य संबंधी प्रयाजन में अनुकूल पा. यह लोकोपचार विनय हुवा ॥ १० ॥ वैय्यावृत्य किसे कहते हैं ? वैय्य वृत्य के दश भद कहे हैं.. १ आचार्य वैय्यावृत्य, २ उपाध्याय वैय्यावृत्य, ३ स्थविर वैय्यावृत्य ४ तपस्वी वैय्यावृत्य ५ ग्लान वैय्यावृत्य ६ नवदीक्षित वैय्यवृत्य ७ कुल वैय्यावृत्य ८ गण वैय्यावृत्य ९ संघवैय्यावृत्य और १० स-1 धर्मी बैय्यावृत्य, यह वैय्यावृत्य तप हुवा.॥१.१॥स्वाध्याय तप किसे कहते हैं? स्वाध्याय के पांच भेद कहे हैं। ११. वाचना २ प्रतिपृच्छा ३ पर्यष्टणा ४ अनुप्रेक्षा और ५ धर्म कथा, यह स्वाध्याय तप हुवा ॥१२॥ ध्यान 42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजे *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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