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पंचमांम विवाह पक्षणति (भगवती)सूत्र Hot
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जहाँ सत्तमसए पढमुद्देसए जाणो कामरसभोजीतीति वत्तव्वसियासेत्तं भत्तपाणदव्यो। मोयरिया ॥ सेत्तं दव्योमोयरिया ॥ सेकिंतं भावोमोयरिया ? भावोमोयरिय अणेगविहा पण्णत्ता तंजहा अप्पकोहे जाव अप्पलोभे, अप्पसद्दे अप्पझंझे अप्पतुमंतुमे, सेत्तं भावोमोयरिया ॥ सेत्तं ऊमोयरिया ॥ ३ ॥ से किं तं भिक्खायरिया ? भिक्खायरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहा दव्वाभिग्गहचरिए, खेत्ताभिग्गहचरिए जहा उववाइए जाव सुद्धेसणिए, संखादत्तिए ॥ सेत्तं भिक्खायरिया ॥ ४ ॥ से किंतं रसपरिच्चाओ ? रसपरिचाओ अणेगविहे प.तं. णिविगइए पणीयरस बारह अण्डे प्रमाण वगैरह जैसे सातवे शतक के प्रथम उद्देशे में कहा यावत् प्रकामरस भोगी होये नहीं. यह भकपाम द्रव्य अवमोदर्य तप कहा. यों द्रव्य अवमोदर्य के भेद कहे. भावअवमोदर्य किसे कहते हैं ? भाव अवमोदर्य के अनेक भेद कहे हैं अल्पक्रोध यावत् अल्पलोभ, अल्पशब्द, अल्पझंझा, अल्पतुमंतुमः यह । भाव अवमोदर्य होवे. यों अवमोदर्य के भेद कहे ॥ ३ ॥ भिक्षाचरी के कितने भेद कह हैं ! भिक्षाचरी के अनेक भेद कहे हैं? द्रव्य भिक्षाचरी, क्षेत्र भिक्षाचरी वगैरह जैसे उक्वाइ में यावत् शुद्ध एषणिक दांत की संख्या माहित आहार ग्रहण करे यह भिक्षाचरी तप हुवा।।४॥रस परित्याग किसे कहते हैं ? रस परित्याग के अनेक
पचीसवा शतकका सातवा उद्देशा 48
भावार्थ
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