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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
सपडिक्कमे सेतं भत्तपञ्चक्खाणे ॥सेत्तं आवकहिए॥सेतं अणसणे॥२॥मेकिंतं ऊमोदरिया? उमोदरिया दुविहापण्णत्तातंजहा दव्वोमोयरियाय, भावोमोयरियाय ॥ से किंतं दव्योमोयरियाय? दन्वोमोयारिया दुन्विहा पण्णत्ता,तंजहा उवगरण दव्योमोयरिया, भत्त पाणदल्बोमाय रियाय.से किंतं उवगरणदव्योमोयरिया?उवगरणदव्योमोयरियाएगे वत्थे,एगेपादे,वियत्तोवगरणसाइनणया;सेत्तं उवगरण दव्योमोयरिया||सेकिंतं भत्तपाण दव्योमोयरिया? भत्तपाण
दव्योमोयरिया अट्ठ कुक्काडि अंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस कहे हैं. पीहारिम और अनिहारिम. यह दोनों नियमा प्रतिक्रम सहित होवे. यह भक्त प्रत्याख्यान तप हुवा. यों यावत् कथित के भेद कहे. यह अनशन तप के भेद संपूर्ण हुए ॥ २॥ अहो भगवन् ! अवमोदरी तप के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! अवमोदरी तप के दो भेद कहे हैं. द्रव्य अवमोदर्य और २ भाष अवपोदर्य. द्रव्य अवमोदर्य किसे कहते हैं ? 'द्रव्य अवमोदर्य के दो भेद कहे हैं १ उपकरण द्रव्य है अवमोदर्य और भक्तपान द्रव्य अवमोदर्य. उपकरण द्रव्य अवमोदर्य किसे कहते हैं ? एक वस्त्र व एक पात्र रखे, उक्त विधि से वस्त्र धारन करे, उस में ममत्व नहीं रखे, उसे उपकरण द्रव्य अवमोदर्य कहते। पानद्रव्य अवमोदर्य किसे कहते हैं ? आठ कूकडी के अण्डे प्रमाण आहार करने से अल्प आहार होता है,
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी.
भावार्थ