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________________ एक उक्नोसणं अट्ठ। एवं छेदोवद्यावाणिएवि ॥ परिहारविसुद्दीए पुच्छा ? गोयमा ! | जहण्णेणं एकं, उक्कोसणं तिण्णि । एवं जाव अहक्खाए ॥ २७ ॥ सामाइय संजयस्सणं भंते ! एगभवग्गहणिया केवइया आगरिसा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं जहा वउसस्स ॥ छेदोवट्ठावणियस्स पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं एक उक्कोसेर्ण वीसपुहत्तं ॥ परिहारविसुढियस्स पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं एक, उक्कोसणं तिण्णि, सुहुम संपरायस्स पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं एको, उक्कोसेणं चत्वारि ॥ अहक्खायस्त पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं एको, उक्कोसेणं दोण्णि ॥ सामाइय जघन्य एक उत्कृष्ट आठ भव करे. यों छेदोपस्थापनीय का भी कहना.. परिहारविशुद्ध की पृच्छा, अहो गौतम ! जघन्य एक उत्कृष्ट तीन. यों यथाख्यात पर्यंत कहना ॥ २७ ॥ अहो भगवन् ! सामायिक संयम एक भव में कितनी वक्त आवे ? अहो गौतम ! बकुश जैसे कहना. छेदोपस्थापनीय की पृच्छा, अहो गौतम ! जघन्य एक उत्कृष्ट बीस पृथक्. परिहारविशुद्ध की पृच्छा, अहो गौतम ! जपन्य एक उत्कृष्ट तीन. मूक्ष्म संपराय की पृच्छा, जघन्य एक उत्कृष्ट चार. यथाख्यात की पृच्छा, जघन्य एक 10 उत्कृष्ट दो वक्त आवे. अहो भगवन् ! सामायिक चारित्र बहुत भव आश्री कितनी बार आवे? अहो । अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषि .काशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालामसादजी. भावाथे
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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