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________________ १८४८ 40 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी णियंठस्स॥३३॥ सीमाइयसंजएणं मत! सामाइयसंजयत्तं जहमाणे कि जहति किं उस पजइ? गोयमा! सामाइयसंजयत्तं जहति छेदोवट्ठावणियर्सजर्यवा, मुहुमसंप. राय संजयंवा असंजमंवा, संजमासंजमंवा उवसंपज्जइ, छेदोवटावाणिय पुच्छा ? गोयमा! छेदोवट्ठावणिय संजयत्तं जहति सामाइय संजमंवा परिहारविमुद्धि यसंजमंबा, मुहुम संपरायसंजमवा. असंजमंत्रा, संजमासजमया, उवसंपजइ, परिहारविसुद्धीए पुच्छा ? गोयमा ! परिहार विमुद्धिय संजयत्तं जहति, छेदोवढावणिय संजमंवा असंजमंवा उपसंपज्जइ । मुहुम संपराए पुच्छा, गोयमा ! मुहुम संपराय संजयत्तं जहति सामाइयसंजयंवा छेदोवट्ठावणिय संजमंवा, अहक्खाय अहो भगवन् ! सामायिक संयमी सामायिक छोडते क्या छंडे और क्या प्राप्त करे ? महो गौतम ! सामायिक पा छोडे और छेदोपस्थापनीय संयम, सूक्ष्मपराय संयम, असंयम, अथवा संयमासंयम माम करे. छेदोपस्थानीय की पृच्छा, अहो गौतम ! छेदोपस्थापनीय छोडे, सामायिक, परिहार विशुद, मूक्ष्म संपराय, असंयम व संयमा संयम, प्राप्त करे. परिहार विशुद्ध की पृच्छा, अहो गौतम ! परिहार विशुद्ध छोडे और छेदोपस्थापनीय व अयम अंगीकार करे. सूक्ष्म संपराय की पृच्छा, अहो गौतम काशकराजाबहादुर लाला मुखदेवसहावजी ज्वालामसादजी. মান্য। |
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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