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________________ २८३५ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) सूत्र 48 पुलायत्त जहमाणे किं जहति किं उवसंपज्जइ ? गोयमा ! पुलायत्तं जहति, कसाय कुसीलं वा अस्संजमं वा उवसंपज्जइ ॥ वउसेणं भंते ! वउसत्तं जहमाणे किं जहति ..किं उवसंपज्जइ ? गोयमा ! वउसत्तं जहति, पडिसेवणा कुसीलं वा कसाय कुसीलं वा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जइ ॥ पडिसेवणाकुसीलेणं भंते ! पुच्छा ? गोयमा ! पडिसेवणाकुसीलत्तं जहति वउसं बा, कसायकुसीलं वा, अस्संजमं वा, संजमासंजमं वा, उवसंपज्जइ ॥ कसायकुसीले पुच्छा ? गोयमा ! कसायकुसीलतं जहति पुलायं वा वउसं वा, पडिसेवणाकुसीलं वा, णियंठं वा, अस्संजमं बा, संज. भगवन् ! पुलाक पुलाक को छोडते क्या छोडता है क्या अंगीकार करता है ? अहो गौतम ! पुलाक पुलाक को छोडता पुलाकफ्ना छोडता है और कपाय कुशील अथवा असंजम अंगीकार करता है. अहो । भगवन् ! बकुश बकुश को छोडता क्या छोडता है क्या अंगीकार करता है ? अहो गौतम ! दकुशपना छोडता है और प्रतिसेवनाकुशील, कषाय कुशील, अमंजम व संजमासजम अंगीकार करता है. प्रतिसेवना कुशील की पृच्छा, अहो गौतम ! पतिसेवना कुशील छोडता है और वकुश, कषाय कुशील, असंजम व संजमासंजम अंगीकार करता है. कषायकुशील की पृच्छा, अही गौतम ! कषाय कुशील छोडता है 480 पच्चीसवा शतक का छठा -
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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