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माचार्थ
अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी +
जो असंखेजा, अनंता पोग्गलपरियट्टा । एवं अणागयात्रि ॥ एवं सव्वद्धावि ॥ ७ ॥ अणागयद्वाणं भंते! किं संखेजाओ ततिद्धाओ असंखजाओ, अनंताओ ? गोयमा ! णो संखेजाओ तीयद्धाओ, णो असंखेजाओ तीयद्धाओ, णो अनंताओ तीयद्धाओ || अणागयाणं तीतद्धाओ समयाहिया तीतद्धाणं अणागयद्धाओ समयूणा ॥ ८ ॥ सव्वाणं भंते! किं संखेजाओ तीतद्धांओ पुच्छा ? गोयमा ! णो संखेज्जाओ
या अनंत पुल परावर्त हैं ? अहो गौतम ! संख्यात असंख्यात पुद्गल परावर्त नहीं हैं परंतु अनंत पुद्गल परावर्त हैं. ऐसे अनागत व सर्व कालके जानना ॥७॥ अहो भगवन्! अनागतके क्या संख्यात अतीत काल हैं असंख्यात हैं या अनंत हैं ? अहो गौतम! संख्यात असंख्यात व अनंत अतीत काल अनागत काल को नहीं है. अनागत काल अतीत काल से एक समय अधिक है और अनागत काल से अतीत काल एक समय कम है || ८ || अहो भगवन् ! सर्व काल को संख्यात अतीत काल दें वगैरह पृच्छा, अहो गौतम
* अतीत काल की आदि नही व अनागंत काल का अंत नहीं इस से अनादि व अनंत पना से दोनों समान हुए. परंतु जिस समय में भगवंत का प्रश्न है वह समय अविनष्ट पना से अतीत काल में प्रवेश करे नहीं परंतु अनागत काल में उस समय की गिनती होसकती है इस से एक समय अधिक अनागत काल हुवा.
* प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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