SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2823
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र भावार्थ पंचमांग विवाह पण्णति (भगवतीमूत्र 44 अणताओ || पोग्गलपरियणं भंते! किं संखेजाओ ओसप्पिणी उसप्पिणीओ ? पुच्छा गोयमा ! णो संखेजाओ ओसप्पिणी उस्सप्पिणीओ, णो असंखेज्जाओ, अनंताओ ओसप्पिणीओ उसप्पिणीओ ॥ एवं जाव सव्वद्धा | पोग्गलपरियद्वाणं भंते ! किं संखेज्जाओ ओसप्पिणीउ प्पिणीओ पुच्छा ? गोयमा ! णो संखेज्जाओ, ओसप्पिणी उस्सप्पिणीओ, जो असंखेज्जाओ, अणंताओ ओसंप्पिणी उस्सप्पिणीओ ॥ ६ ॥ तीताणं भंते! किं संखेजा पोग्गल परियट्टा ? गोयमा ! णो संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा अहो भगवन् ! पुद्गल परावर्त को क्या संख्यात अवसर्पिणी हैं ? वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! संख्यात व असंख्यात अवसर्पिणी नहीं हैं. परंतु अनंत अवसर्पिणी हैं. अहो भगवन् ! पुद्गल परावर्त को क्या संख्यात उत्सर्पिणी हैं? अहो गौतम ! संख्यात असंख्यात उत्सर्पिणी नहीं हैं परंतु अनंत उत्सापणी हैं. अहो भगवन् ! पुद्गल परावर्त को क्या संख्यात अवसर्पिणी उत्सर्पिणी हैं ? वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! संख्यात असंख्यात अवसर्पिणी उत्सर्पिणी नहीं हैं परंतु अनंत अवसर्पिणी उत्सर्पिणी हैं. ऐसे ही सब काल पर्यंत कहना. अहो भगवन् ! बहुत पुद्गल परावर्त में बया संख्यात अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी अहों गौतम संख्यात असंख्यात अवसर्पिणी उत्सर्पिणी नहीं परंतु अनंत अवसर्पिणी उत्सर्पिणी हैं. ॥६॥ अहो भगवन् ! अतीत काल में क्या संख्यात पुद्गल परावर्त हैं या असंख्यात पुल परावर्त हैं. पुच्छा. 48 पच्चीसत्रा शतक का पांचवा उद्देशा २७९३
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy