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पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र
तीतहाओ, णो असंखेजाओ तीतहाओ, णो अणंताओ तीतद्धाओ ॥ सन्वद्वाण तीतद्धाओं सातिरेग दुगुणो तीतहाणं सव्वद्धाओ थोवूणाए अद्धे ॥८॥सव्वद्धाणं भंते ! कि संखज्जाओ अणागयहाओ षुच्छा ? गोयमा! णो संखेजाओ अणागयडाओ जो असंखजाओ जो अणंताओ अणागयद्धाओ ॥ सव्वद्धाणं अणागयद्धाओ थोवूणगदु. गुणो अणागयद्वाणं सव्वहाओ सातिरेगेअद्ध ॥ ९ ॥ कइविहाणं भंते । णिओदा पण्णता ? गोयमा ! दुबिहा णिओदा पण्णत्ता, तंजहा गिओयगाय
जिओय जीवाय ॥ णिओदाणं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णता, संख्यात, अंसख्यात व अनंत अतीत काल नहीं हैं परंतु साधिक दुगुना अतीत काल है. क्यों की अतीत E अनागत मीलकर सर्वकाल होता है और अतीत काल सर्व काल से थोडा कम है. ॥८॥ अहो भगवन् ! सर्व
काल को क्या संख्यात अनागत काल हैं पुच्छा, अहो गौतम ! संख्यात, असंख्यात व अनंते अनागत काल । नहीं है परंतु सर्व काल को किंचित् कम दो गुना अनागत काल है. और सर्व काल से कच्छ अधिक अधolo अनागत काल है.॥१॥अहो भगवन! निगोद के कितने भेद कहे हैं? अहो गौतम!निगोद के दो भेद कहे हैं.११ भनतकायिक जीवका शरीरनिगोदक और साधारण नाम कमोदयवर्ती जीव सो निगोद.अहो भगवन् निगोदके'
48. पच्चीसवा शतक का पांचवा उद्दशा 428
भावार्थ