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शब्दार्थी
सूत्र
भावार्थ
8 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
द्रव्य खि० क्षेत्र से अ० असंख्यान प० प्रदेश अ० अवगाही का० काल से अ० अन्य ठिन स्थिति वाले (भा० भावा से व० वर्णवाले गं० गंधवाले २० रसवाले फा० स्पर्श वाले आ०. श्वासलेते हैं पा० विशेष श्वासलेते हैं उ० उश्वासलेते हैं. निं० निश्वासलेते हैं जा० यदि भा० भाव से व० वर्ण वाले आ० श्वासलते हैं पा० विशेष श्वासलेते हैं ७० उश्वासलेते हैं नि० निश्वासलते हैं ना० तो किं० क्या ए० एक व० (वर्ण वाले आ० श्वासलेते हैं पा० विशेष श्वासलेते हैं उ० उश्वासलेते हैं नि० निश्वासलेते हैं आ० आहार मंतिवा उस्ससंतिवा, निस्ससंतिवा ? गोयमा ! दव्वओणं अनंत पएसियाई दव्वाई, खित्तअं असंखेज्ज एसोगाढाई, कालओ अण्णयरठिईयाई, भावओ, वण्णमंताइ. गंधमंताई, रसमलाई, फासमंताई आणमंतिवा, पाणमंतिवा, उस्ससंतिवा, निस्ससंतिवा. जाई भावओ वण्णमंताई आणमंतिवा पणमंतिवा उस्ससंतिवा निस्ससंतिवा, ताई किं एग वण्णाईआण मंतिवा, पाणमंतिवा उस्ससंतिवा निस्ससंतिवा, आहारगमो समय की स्थिति वाले पुद्गल और भाव से वर्णवाले, गंधवाले. रसवाले व स्पर्श वाले द्रव्य का श्वासोश्वास लेते हैं. अहो भगवन् ! जब भाव से वर्ण सहित पुगल श्वासोश्वासाने ग्रहण करते हैं तो क्या वह एक वर्ण वाले पुद्गल का श्वासोश्वास लेते हैं ? अहो गौतम ! इनका सब अधिकार पचवणा सूत्र के अट्ठावीस में पद में कहा हैं वैसा व्याघात आश्री तीन चार पांच व छ दिशा के पुद्गल ग्रहण करे वहांतक कहना. अहो भगवन्
* मकाशक-राजाबहादुर लाला सुबनहायजी जालामनादजी
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