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________________ शब्दार्थ ए० उनका आ० श्वास पा• विशेष श्वास उ० उश्वास नि० निश्वास ण नहीं जा जानते हैं ण नहीं 12 पादेखते हैं ए. वे भं• भगवन जी० जीव आ० श्वासलेते हैं पा० बहुत श्वासलेते हैं उ० उश्वासलेत. हैं निः निश्वासलेते है हं० हां गो गौतम ए. वे जी० जीव आ. श्वासलेत हैं पा० विशष श्वासलेते। हैं उ० उश्वासलेते हैं नि० निश्वासलेते हैं कि किसका ए• ये. जी. जीव आ. श्वासलेते हैं पाos विशेष श्वासलेते हैं उ० उश्वासलेते है नि० निश्वासलेते हैं गो० गौतम द० द्रव्य से अ० अनंत प० प्रदेश जाव वणप्फइकाइया, एगिदिया जीवा एएसिणं आणामवा, पाणामंवा, उस्सासं से वा, निस्सासंवा, ण जाणामो ण पासामो ॥ एएसिणं भंते ! जीवा आणमंतिवा पाणमंतिका उस्ससंतिवा, निस्ससंतिवा ? हंता गोयमा ! एएविणं जीवा आणमंतिवा। पाणमंतिवा उस्ससंतिवा निस्ससंतिवा । किण्णं भते ! एते जीवा आणमंतिवा पाणभावार्थ प्रमाण से प्रतीति है तथापि उन पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेउकायिक, वायुकायिक, व वनस्पति कायिक जीवों का श्वासोश्वास मैं नहीं जानसकता है नहीं देखसकता है. तो अहो भवगन ! क्या वे जीव श्वासोश्वास लेते हैं ? हां गौतम ! वे जीवों भी श्वासो श्वास लेते हैं. अहो भगवन् ! वे। किस प्रकार श्वासोश्वास लेते हैं ? अहो गौतम ! द्रव्य से अनंत प्रदेशी अनंत पुद्गल का श्वासोश्वास लेते हैं क्षेत्र से असंख्यात प्रदेश को अवगाहकर रहनेवाले पुद्गलों का, कालमे एक समय यावतू असंख्यात है। 8 पंचमाङ्ग विवाह पण्णात्त ( भगवती ) सूत्र 4850888 दूसरा शतक का पहिला उद्देशा848862
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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