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समयं उक्कोसेणं असंखजं कालं ॥ दुपदेसियस्सणं भंते ! खंधस्स देसयस्स केवइयं । कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेजंकालं । परट्राणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं अणतंकालं ॥ सव्वेयस्स केवइयं कालं एवंचेव जहा देसेयस्स ॥ णिरेयस्स केवइयं कालं ? सट्राणंतरं पडच्च जहण्णेणं एक समयं उक्क सेणं आलियाए असंखजइ भागं । परट्राणं तरं पडुच्च जहण्णेणं एक समयं उक्कोसेणं अणंतकालं, एवं जाव अणंतपदेसियस्स
॥ ४३ ॥ परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सव्वेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा! भावार्थ जघन्य एक समय उत्कृष्ट असंख्यात काल. द्विप्रदेशिक स्कंध का देश कंपन का कितना
अंतर कहा ? अहो गौतम ! स्वस्थानांतर आश्री जघन्य एक ममय उत्कृष्ट असंख्यात काल, परस्थानांतर आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट अनंत काल. सब कंपन का कितना अंतर ? सव कम्पन का अंतर देश कम्पन जैसे कहना. स्थिर का कितना अंतर कहा ? अहो गौतम ! स्वस्थानांतर आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट आवालिका का असंख्यातवा भाग परस्थानांतर जघन्य एक समय
उत्कृष्ट अनंत काल. ऐसे ही अनंत प्रदेशिक तक कहना ॥ ४३ ॥ अहो भगवन् ! बहुत परमाणु पुद्गल के 10 सई कम्पन का कितना अंतर होवे ? अहो गौतम : इस का अंतर नहीं है क्यों कि वह सब काल 21
-42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
• प्रकाशक राजबहादुर लाला सुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी *
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