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भावार्थ
८०३ अनुवादक बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
गुणा
पट्टयाए अर्णतगुणा परमाणुपोग्गला सेया दव्बटुअपदेसटुयाए
अनंतगुणा ॥ संखेजपएसिया खंधा सेया दव्वटुयाए असंखेज्जगुणा तेचेव पदेस याए संखेजगुणा, असंखेज्जपएसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, तेचेत्र पदेसट्टयाए असंखेजगुणा ॥ परमाणुयोग्गला णिरेया दव्वट्टयाए अपदसष्टुयाए असंखेज्जगुणा, संखेज्ज एसिया खंधा णिरेया दव्वट्टयाए असंखेजगुणा, तेचेव पदेसट्टयाए असंखेज गुणा ; असंखेजपएसिया खंधा णिरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, तेचत्र पदेसटूयाए
ही कहना. अब द्रव्य व प्रदेश आश्री अल्पाबहुत्व. अष्ठो भगवन् ! सब से थांडे अनंत प्रदेशिक स्कंध अकम्प द्रव्य आश्री, इस से वही प्रदेश आश्री अनंतगुने, इस से परमाणु पुद्गल सकम्प द्रव्य व अप्रदेश आश्री अनंतगुने, इस से संख्यात प्रदेशिक स्कंध सकम्प द्रव्य आश्री असंख्यातगुने, इस से वही प्रदेश आश्री संख्यातगुने, इस से असंख्यात प्रदेशिक स्कंध सकम्प द्रव्य आश्री असंख्यातगुने, इस से वही | प्रदेश आश्री असंख्यातगुने, इस से परमाणु पुद्गल अकम्प द्रव्य व प्रदेश आश्री असंख्यातगुने इस से संख्यात प्रदेशिक स्कंध अकम्प द्रव्य आश्री असंख्यातगुने इस से वही प्रदेश आश्री असंख्यातगुने इस असंख्यात प्रदेशिक स्कंध अकम्प द्रव्य से असंख्यातगुने, इस से वही प्रदेश आश्री असंख्यातगुने
* प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्यालाप्रसादजी *
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