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परमाणुपोग्गला सेया दवट्टयाए अणंतगुणा, संखेजपएसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए असंखेशगुणा, असंखेजपएसिया खंधा सेया दवट्टयाए असंखेजगुणा, परमाणुपोग्गला णिरेया इन्वट्ठयाए असंखेजगुणा, संखेजपएसिया खंधा णिरेया दवट्ठयाए संखेजगुणा, असंखेजपएसिया खंधा जिरेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा, पदेसट्टयाए एवं चेव, णवरं परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियव्वा, संखेजपएसिया खंधा णिरेया पदेसट्ठयाए असंखेजगुणा सेसं तंचेवादवटुपएसट्टयाए सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा णिरेया
दध्वट्ठपाए तेचेव पदेसट्टयाए अणंतगुणा ॥ अणंत पदेसिया खंधा सेया दवट्ठयाए भावार्थ स्कंध अकम्प है २ इस से अनंत प्रदेशिक स्कंध सकंप द्रव्य से अनंत गुने ३ इस से परमाणु पुद्गल सकम्प
द्रव्य से अनंतगुने इस से ४ संख्यात प्रदशिक स्कंध सकम्प द्रव्य से असंख्यातगुने ५ इस से असंख्यात मदेशिक स्कंध सकम्प द्रव्य से असंख्यातगुने, इस से परमाणु पुद्गल अकम्प द्रव्य से असंख्यात गुने इस से ७ संख्यात प्रदेशिक स्कंध अकम्प द्रव्य से संख्यातगुने इस से ८ असंख्यात प्रदेशिक स्कंध
अकम्प द्रव्य से असंख्यातगुने. जैसे द्रव्य आश्री कहा वैसे ही प्रदेश आश्री कहना परंतु परमाणु पुगल, 1- अमदेशिक कहना. और संख्यात प्रदेशिक स्कंध अकंप प्रदेश आश्री असंख्यातगुना कहना.. शेष सब वैसे है ।
विवाहपण्णत्ति ( भगवती) पंचाय
1887 पच्चीसवा शतक का चौथा उद्देशा 40
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