SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2807
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - | २७७७ असंखेजगुणा, ॥ ३९ ॥ परमाणुपोग्गलेणं भंते! कि देसेए सोए णिरेए? गोयमा! णो देसेए सिय सव्वेए सिय णिरेए ॥ दुपदेसिएणं भंते ! खंधे पुच्छा ? गोयमा ! सिय देसेए सिय सव्वेए, सिय णिरेए ॥ एवं अणंतपदेसिए ॥ परमाणुपोग्गलाणं भंते ! किं देसेया सव्वेया णिरेया? गोयमा ! णो देसेया सव्वेयावि णिरेयावि ॥ दुपदेसियाणं भंते ! खंधा पुच्छा? गोयमा! देसेयावि सव्वेयावि णिरेयावि एवं जाव अणंतपदेसिया ॥ ४० ॥ परमाणुपोग्गलेणं भंते ! सव्वेए कालओ केवंचिरंहोइ ? गोयमा ! जहण्णेणं पंजमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र १० पच्चीसवां शतक का चौथा उद्देशा 4220 भावार्थ ॥ ३१ ॥ अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल क्या देश से कंपन वाला, सर्व से कंपन वाला या स्थिर है ! अहो गौतम ! देश से कंपन वाला नहीं है परंतु स्यान सर्व से कंपन वाला व स्यात स्थिर है, द्विपदेशिक ys स्कंध की पृच्छा, अहो गौतम ! स्यात देश से कंपन वाला, स्यात सर्व से वाला कपंन व स्यात स्थिर है ऐसे ही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना..हो भगवन् ! बहुत परमाणु पुद्गल क्या देश से कंपन। वाले हैं, सर्व से कंपने वाले हैं या स्थिर हैं ? अहो गौतम ! देश से. कंपन वाले नहीं हैं परंतु सर्व से of कंपन वाले व स्थिर हैं. द्विपदेशिक स्कंध की पृच्छा, देश से कंपन वाले, सर्व से कंपन वाले व स्थिर भी +हैं. ऐसे ही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना. ॥ ४० ॥ अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल सर्व से कंपन पाला .
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy