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सूत्र
भावार्थ
खंधस्स पुच्छा, गोयमा ! सट्टाणंतरं पडुच्च जहणेणं. एक समयं उक्कोसेणं असंखेज्जंकाल, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहणेणं एवं समयं उक्कोसेणं अणतंकालं ॥ भिरेयरस केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! सट्टानंतरं पडुब जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइ भागं । परंद्वाणंतर पडुच्च जहण्णेणं एवं समयं उक्कोः सेणं अतं कालं एवं जाव अनंतपदेसियस्स || परमाणु पोग्गलाणं भंते ! सेयाणं hari कालं अंतरंहोइ ? गोयमा ! णत्थि अंतरं ॥ णिरेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! णत्थि अंतरं ॥ एवं जाव अणतपदेसियाणं खंधाणं ॥ ३६ ॥ एएसिणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सैयाणं णिरेयाणय कयरे २ जाव विसेसाहियावा ?. | परस्थानांतर आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट अनंतकाल. अहो भगवन् ! स्थिर का कितना अंतर कहा अहो गौतम ! स्वस्थानांतर आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट आवलिका का असंख्यातवा भाग परस्थानांतर आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट अनंतकाल ऐसे ही अनंत प्रदेशिक का कहना. अहो भगवन् ! कंपन स्वभाववाले परमाणु पुद्गलों का कितना अंतर कहा ? अहो गौतम ! उस का अंतर नहीं हैं. स्थिर का ( कितना अंतर ? अहो गौतम ! उस का भी अंतर नहीं हैं. ऐसे ही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना. ॥ ३६॥ अहो भगवन् ! इन कंपन व स्थिर स्वभाववाले परमाणु पुद्गल में कौन किस से अल्प बहुत यावतू
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4- पंचमांगविवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
पच्चीसवा शतकका चौथा उद्देशा
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