SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2801
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - सूत्र २७७१ सिय सेए सिय णिरेए ॥ एवं जाव अणंत पदेसिए ॥ परमाणु पोग्गलाणं भंते ! कि सेया णिरेया ? गोयमा ! सेयावि णिरेयावि ॥ एवं जाव अणंतपदेसिया ॥ ३५ ॥ परमाणु पोग्गलेणं भंते ! सेए कालओ केवेचिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं एक समयं उक्कोसणं आवलियाए असंखेजइभागं ॥ परमाणु पोग्गलेणं भंते ! गिरेए कालओ केवीचरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं एवं जाव अणंत परसिए ॥ परमाणु पोग्गलाणं भंते ! सेया कालओ केवचिरं होइ ? भावार्थ: स्यात् स्थिर है. ऐसे ही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना. बहुत परमाणु पुद्गल क्या कंपन सहित हैं । या कंपन रहित हैं ? अहो गौतम ! कंपन सहित व स्थिर दोनों प्रकार के हैं ऐसे ही अनंत प्रदेशिक al स्कंध पर्यंत कहना. ॥ ३५ ॥ अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल कितना काल तक कंपन सहित रहे ? अहो । गौतम : जघन्य एक समय उत्कृष्ट आवलिका का असंख्यातवा भाग . अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल कितना काल तक स्थिर रहे ? अहो गौतम ! जघन्य एक समय उत्कृष्ट असंख्यात काल, ऐसे ही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना. अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गलों कितना काल तक कंपन सहित रहे ? अहो गौतम ! सब काल पर्यंत रहे. अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल कितने काल पर्यंत स्थिर रहे ? अहो । पंचमांग विवाह पण्णति (भगवती) सूत्र 8+ पच्चीसवा शतकका चौथा उद्देशा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy