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________________ २७६७ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 42262 कलिओगा ॥ विहाणादेसेणं णो कडजुम्मपएसोगाढा णो तेओयपएसोगाढा, दावर जुम्मपएसो गाढावि, कलिओगपएसोगाढावि ॥ तिपएसियाणं पुच्छा ? गोयमा ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, णो तेओया, णो दावर णो कलिआंगा ॥ विहाणा देसेणं णो कडजुम्मपएसोगाढा, तेओगपएसोगाढावि, दावरजुम्मपएसो गाढावि, कलिओग पएसो गाढावि ॥ चउप्पएसियाणं पुच्छा ? गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा णो तेओगा,णो दावर णो कलिओगा ॥ विहाणा देसेणं कडजुम्मपएसो गाढवि जावकलिओगपएसो गाढावि॥एवं जाव अणंत पएसिया॥३०॥परमाणु पोग्गलेणं भंते! किं पृच्छा, अहो गौतम ! सामान्य से कृतयुग्म प्रदेशावगाही है परंतु व्योजद्वापर व कलि युग्म प्रदेशावगाही नहीं हैं. और विधाना देश से कृतयुग्म. व्योज कलियुग्म प्रदेशावगाही नहीं है परंतु द्वापर युग्म प्रदेशावगाही है. तीन प्रदेशी की पृच्छा, अहो गौतम ! सामान्य से कृतयुग्म प्रदेशावगाही है परंतु ध्योज, द्वापर व कलि योज, प्रदेशावगाही नहीं है विधाना देश से कृतयुग्म प्रदेशावगाही नहीं है परंतु त्र्योज, द्वापर व कलि योज प्रदेशावगाही है. चार प्रदेशिक स्कंध की पृच्छा, अहो गौतम ! सामान्य से कृतयुग्म प्रदेशावगाही है परंतु योज, द्वापर व कलियुज प्रदेशावगाही नहीं है और विधाना देश से कृत-१५ युग्म प्रदेशावगाही यावत् कलियुग्म प्रदेशावगाही जानना. ऐसे ही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना ॥३०॥ 8- पच्चीसवा शतक का चौथा. उद्देशा 48+ 4.२१
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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