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________________ 4. अनुरसदक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + पण उक्कोसेणं अपंतपदेसिए तंचेव ॥ तत्थणं जे से घण चउरसे से दुविहे पण्णते, तंजहा ओयपएसिएय जुम्म पएसिएय ॥ तत्थणं जे से ओयपएसे से जहण्णेणं सत्तावीसपएसिए सत्तावीस पएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव ॥ तत्थणं जे से जुम्म पएसिए से जहण्णेणं अटुपएसिए अट्ठपएसोगाढे पण्णत्ते, उकोसेणं अणंतपएसिए तहेव ॥ १० ॥ आयतेणं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगावे पण्णत्ते ? गोयमा ! आयतेणं संठाणे तिविहे पण्णत्ते; तंजहा सेढियायते, पयरायते, घणायते, ॥ तत्थणं जे से सेढिआयते से दुविहे पण्णत्ते, तंजहा ओयपएसिए जुम्म उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक व असंख्यात प्रदेशावगाही है. और जो युग्म प्रदेशिक है वह चार प्रदेशिक व चार प्रदेशावगाही है उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक व असंख्यात प्रदेशावगाही है. अब घनचौरंस के दो भेद कहे हैं. भोज प्रदेशिक व युग्म प्रदेशिक. उस में ओज प्रदेशिक जघन्य सत्तावीस प्रदेशिक मचावीस प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक व असंख्पात प्रदेशावगाही. जो युग्म प्रदेशिक है वह जघन्य आठ प्रदेशिक व आठ प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक व असंख्यात प्रदेशावगाही ॥१०॥ अहो भगवन् ! आयत संस्थान कितने मदेशिक व कितने प्रदेशावगाही हैं ? अहो गौतम ! भायत * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसह्मयजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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