________________
२७१४
पएसिएय तत्थणं जे से ओय पएसिए से जहणेणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे उक्कोसणं अणंत पएसिए तंचेव ॥ तत्थणं जे से जुम्मपरीसए से जहण्णेणं दुपएसिए दुपदेसो गाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तंचेव ॥ तत्थणं जे से पयरायते से दुविहे पण्णत्ते तंजहा ओयपएसिएय जुम्म पएसिएय ॥ तत्थणं जे से आयपएसिए से जहण्णेणं पण्णरसपदेसिए पण्णरसपएसोगाढे ॥ उक्कोसेणं अणंत पएसिए तहेव ॥ तत्थणं जे से जुम्म पएसिए से जहण्णेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे ॥ उक्कोसेणं अणंत पएसिए
तहेव।। तत्थणं जे से घणायते से दुविहे पण्णत्ते तंजहा ओयपएसिएय जुम्म पएसिएय अवार्थ संस्थान के तीन भेद कहे हैं. १ श्रेणिबद्ध आयत, २ प्रतर आयत और ३ घन आयत. उस में श्रेणीबद्ध
आयत के दो भेद ओजप्रदेशिक व यग्म प्रदेशिक, ओज प्रदेशिक जघन्य तीन प्रदेशिक तीन प्रदेशावगाही है उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही. युग्म प्रदेशिक जघन्य दो प्रदशिक दा प्रदेशावगाही उत्कृष्ट
अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही. प्रतरायत के दो भेद ओजप्रदेशिक व युग्म प्रदेशिक. ओज To प्रदेशिक जघन्य पनरह प्रदेशिक पन्नरह प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही.
युग्म प्रदेशिक जघन्य छ प्रदेशी छ प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही. बनायत
पंचमांय विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 4
wwwwwwwwwwwwwwwwraniwww
2880- पञ्चासत्रा शतक का तीसरा उद्देशा88800
।