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पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र
तंजहा-ओयपएसिए जुम्मपएसिए ॥ तत्थणं जे से ओयपएसिए से जहणेणं पणती. सपएसिए पणतीसपएसोगाढे पण्णत्ते । उक्कोसेणं अणंत पएसिए तंचेव ॥ तत्थणं जे से जुम्मपएसिए से जहणेणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपरसिए, तंचेव ॥९॥ चउरंसेणं भंते ! संढाणे कइपएसिए पुच्छा ? गोयमा ! चउरंसे संठाणे दुविहे पण्णत्ते भेदो जहेव वदृस्त ॥ जाव तत्थणं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं णवपएसिए णवपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे
पण्णत्ते ॥ तत्थणं जे से जुम्म पएसिए से जहणणं चउप्पएसिए चउप्पदेसोगाढे मदेशिक छ प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही. अब घन त्र्यंस के दो भेद १ ओज मदेशिक व २ युग्म प्रदेशिक, ओज प्रदेशिक जघन्य पैंतीस प्रदेशिक पैंतीस प्रदेशावगाही. उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही. युग्म प्रदेशिक जघन्य चार प्रदेशिक चार प्रदेशा
वगाही है, उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही ॥९॥ अहो भगवन् ! चौरंस संस्थान कितने % ७ प्रदेशिक व कितने प्रदेशावगाही है ? अहो गौतम ! चौरंग संस्थान के दो भेद कहे हैं ? ओज प्रदेशिक व
युग्म प्रदेशिक वगैरह वृत्त जैसे भेद कहना.. इस में ओज प्रदेशिक जघन्य नव प्रदेशिक नव प्रदेशावगाही
पच्चीसवा शतक का तीसरा उद्दशा 4.80
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