SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2744
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - २७१४ जहण्णेणं बत्तीस पएसिए बत्तीस पएसोगाढे पण्णत्ते उक्कोसेणं अर्णत पएसिए असंखेज' पएसोगाढे पण्णत्ते. ॥ ८ ॥ तंसेणं भंते ! सट्टाणे कति पदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! तंसेणं संढाणे दुविहे पण्णत्ते; तंजहा घणतंसेय, पयरतंसेय ॥ तत्थणं जे से पयरतंसेय से दुविहे पण्णत्ते, तंजहा ओयपएसिएय जुम्मपएसिएय ॥ तत्थणं जे से आयपएसिए से जहण्णेणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे पण्णत्ते ॥ उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पण्णत्ते ॥ तत्थणं जे से जुम्म पएसिए से जहणेणं छप्पतिए छप्पदेसोगाढ पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंत पदेसिए असंखेजपएसोगाढे पण्णत्ते ॥ तत्थणं जे ते घणसंसे से दुविहे पण्णत्ते, IF नो युग्म प्रदेशिक है वह जघन्य बत्तीस प्रदेशिक व वसीमप्रदेशावगाही है उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक व असंख्यात प्रदेशावगाही हैं ॥ ८ ॥ अहो भगवन् ! यस संस्थान कितने प्रदेशिक व कितने प्रदेशावगाही है ? अहो गौतम ! त्र्यंत संस्थान के दो द कहे हैं. १ घनत्र्यंत व २ प्रतर ऽयंस. उस में प्रतर यंस के दो भेद कहे हैं ओज मदेशिक व युग्म प्रदेशिक. जो ओज प्रदेशिक है वह जघन्य तीन मदेशिक | तीन प्रदेशावगाही और उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही और युग्म प्रदशिक जमन्य १.१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी *काशक राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी* भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy