________________
aag
२७१.३
पयरवडूय ॥ तत्थर्ण जे से पयरवटे से दुविहे पण्णत्तेतंजहाओयपएसिएय जुम्मपएसिएय सत्थणं जे से ओयपएसिएय पयरवटे से जहण्णेणं पंचपदेसिए पंचपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखजपएसोगाढे ॥ तत्थणं जे से जुम्मपएसिए से जहण्णेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज पएसो. गाढे ॥ तस्थणं जे से घणवढे से दुविहे पण्णत्ते, तंजहाओयपएसिएय जुम्म पएसिएय तत्थणं, जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं सत्तपएसिए सत्तपएसोगाढ पण्णत्ते, उक्को
सेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पण्णत्त तत्थणं जे से जुम्मपएसिए से भावार्थ हैं. पनवृत्त और मतरवृत्त, उस में प्रतर वृत्तके दो भेद कहे हैं. विषम संख्यावाले प्रदेश से बना सो ओज ।
प्रदेशिक और २ सम संख्यावाले प्रदेश से बना मो युग्म मदेशिक इस में ओज प्रदेशिक जघन्य पांच प्रदेशिक
पांच प्रदेशावगाही है और उत्कृष्ट अनंत मदेशिक व असंख्यात प्रदेशावगाही है और जो युग्म प्रदेशिक .. है वह जघन्य बारह प्रदेशिक व बारह प्रदेशावगाही है उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक व असंख्यात प्रदेशावगाहि*
हैं. धनवृत्त के दो भेद कहे हैं ओजमदेशिक व युग्म प्रदेशिक इस में जो ओज मदेशिक है वह * जघन्य सात मदेशिक व सात प्रदेशावगाही है उत्कृष्ट अनंत मदेशिक व असंख्यात प्रदेश्वावगाही है और
. पंचमांग विवाह पण्णत्ति (मगवती) मूत्र
पचीसवा शतक का तीसरा