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________________ शब्दार्थ स सूत्र ह्मचरािमुनि श्री अमोलक ऋi अनुवादक-बालन सा० मीलते हैं क० कैसे दो दो ५० परमाणु पुद्गल ए० एकत्रित सा० मीलते हैं दो दो प० परमाणु . कजमाणा तिणि परमाणु पोग्गला भवंति एवं जाव चत्तारि पंचपरमाणु पोग्गला एगयओ साहणति साहणित्ता खंधत्ताए कजंति, खंधेवियणं से असासए सयासमियं उवाचच्चइय अवचिजइय ॥ पुस्विं भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासा समय वीतिकंतंचणं भासिया भासा अभासा. जासा पुस्विं भासा अभासा भासिजमाणी भासा भासा,भासा समय वीतिकंतंचणं भासिया भासा अभाप्ता। सा किं भास ओ भासा अभासओ भासा ? भासणं भासा सा, णो खलु सा अभासओ भासा । स्कन्ध जानना. वह स्कन्ध अशाश्वत, सर्वदा सम्यक प्रकार से चय उपचय (हानि वृद्धि ) को पाता है. अब तीसरा प्रश्न का उत्तर देते हैं. पहिले बोलाई हुई प्रथम की भाषा सो अभाषा होती है, बोलाती हुइ भाषा को ही भाषा कह सकते हैं. क्यों की उस समय शब्द अर्थ की उत्पत्ति होती है. भाषा समय : व्यतील हुवे पीछे भाषा भाषा होजाती है, अब जो पहिले बोलाइ हुइ भाषा भाषा नहीं है, बोलाती हुइ भाषा भाषा है व भाषा समय व्यतीत हुने पीछे भाषा को अभाषा कही जाती है ऐसा कहागया तो क्या वह भाषा भाषक को होती है या अभाषक को होती है ? वह भाषा भाषक को ही होती है परंतु अभाषक को नहीं होती है. आ चौथा प्रश्न का उत्तर देते हैं, पहिले की हुई क्रिया दुःख प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुबदा सहायजी पालाप्रसादजी, भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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