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________________ - शब्दार्थ मोबर प. पहिली कि मियादव क करते कि क्रिया अ० अदाख कि क्रियास समय बी० च्यतीतहये क कीहुए फिर किया दुदायक, करण दुक दाख अ अकरण द० दुःख णो नहीं मा वह क० करण दुदानका कहना अनहीं किया दादुःख अ० नहीं स्पर्शा नहीं करते पा० प्राण भ. भून भासा,अभासओ?भाला अभालओणं साभासा णो खलुसा भासओ भासा। पुदि किरिया दुक्खा,कजमाणी किरिया अदक्खा,किरिया समयवीतिकंतं चणंकडा किरिया दक्खा,जा सा पाव्वं किरिया दक्खा, कजमाणा किरिया अदक्खा किरिया समय बीइकंतंचणं कडा किरिया दुक्खा । सा किं करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा ? अकरणओणं सा दुक्खा, णो खल सा करणओ दुक्खा, सेव वत्तव्यं सिया, आकिच्चं दुक्खं, अफसंभावार्थ बोलाइ जो भाषा उसे भापा कहना, तब क्या वह भाषा भापकको होती है या अभापक को होती है ? तब अन्यतीर्थिक ऐसा उत्तर देते हैं कि भापक को भापा नहीं; परंतु अभाषक को भाषा होती है। और भी अन्य तीर्थक ऐसा कहते हैं कि जहां तक कायिकादि क्रिया नहीं की जावे वहांतक ही वह ore क्रिया दुःख के हेतु भूत होती है, और क्रिया करने लगे तब वह दुःख के हेतु भूट नहीं होती है, क्रिया समय व्यतीत हुवे पीछे कराइ हुइ क्रिया दुःख के हेतु भूत है, और जो पहिले की क्रिया दुःख के हेतु भूत है, 100 कराती हुई क्रिया दुःख के हेत भन नहीं है और क्रिया समय व्यतीत हुए पीछे कराइ क्रिया दुःख के देत - पचंमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) सूत्र Petd> पहिला शतकका दशवा उद्देशा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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