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शब्दार्थ को अ० है सि. स्निग्धपना त• इसलिये ति तीन प० परमाणु पुद्गल ए० एकत्रित मा. मीले ते.
वे भि० भेदाते दु. दोपकार से ति तीन प्रकार से क. कर द० दोपकार से कि० करते ए. एक तरफ दि० देढ ५० परमाणु पुद्गल भ० होवे ए. एक तरफ दि देव प० परमाणु पुद्गल भ० होवे ति. तीन प्रकार से क०करते ति तीन ५०परमाणु पुद्गल ह होवे ए०ऐसे जा० यावत् च. चार पं० पांच ५०परमाणु पुद्गल ए एक बाजु से सा०मीले ए. एक बाजुमे मा० मीलकर दु दुःखपने क करे दु०दुःख सा० शाश्वत स० । साहणंति, तिण्णि परमाणु पोग्गलाणं अत्थि सिणेह काए, तम्हा तिण्णि परमाणु OF पोग्गला एगयओ साहणति, ते भित्रमाणा दुहावि तिहावि कजंति. दुहा किजमाणा है एगयओ दिवड्डे परमाणु पोग्गले भवइ, एगयओ दिवड्डे परमाणु षोग्गले भवइ, ___ तिहा कज्जमाणा तिणि परमाणु पोग्गला हवंति एवं जाव चत्तारि पंच परमाणु गुण है वह उन परमाणु पुद्गलों में नहीं है. परंतु तीन परमाणु पुद्गल मीलकर स्कंधरूप बनजाते हैं क्यों की इसमें स्निग्धता रही हुइ है. उस तीन परमाणु पुद्गल का स्कन्ध को भेदने में आवेतो इस के दो अथवा 0 तीन विभाग होसकते हैं. जब दो विभाग किया जाता है तब देव २ परमाणु का एक २ विभाग होता है, और जब तीन विभाग किया जाता है तब एक २परमाणु का तीन विभाग होता है. जैसे दो परमाण का स्कंध होता है वैसे ही तीन, चार पांच परमाणुओं का स्कंध बनता है वे स्कंध रूप बनकर
- पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र
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488948 पहिला शतक का दशवा उद्देशा 988