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________________ 488 २६१७ जइ तेइंदिएहितो पुढवीकाइएसु उववजंति, एवंचैव गवगमका भाणियव्या, णवरं आदिल्लेसुवि तिसुवि गमएसु सरीरोगाहणा जहण्ोणं अंगुलस्स असंखेजइ भागं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं. तिण्णि इंदियाई, ट्ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं एगणपण्णराइंदियाई ॥ ततियगमए कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साई अंतो मुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीइ वाससहस्साइंछण्णउइराइंदिय मब्भहियाइं एवइय॥ मज्झिमगा तिण्णिगमगा पच्छिमगा तिगमगा तहेव णवर दिई जहण्णेणं एगूण पण्णराइंदियाई, उक्कोसेणवि एगणपण्ण राइंदियाई संवेहो उवांजिऊण भाणियन्वो ॥ २२ ॥ जइ चउरिदिएहितो उववजंति एसचेव चउरिदियाणविणव गमगा भाणिमावार्थ कहना. विशेष में पहिले के तीनों गया में शरीर की अवगाहना जघन्य अंगुल का असंख्यातवा भाग Fउत्कृष्ट नीन गाउ, तीन इन्द्रियों, स्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट गुनपञ्चास अहोरावि. तीसरा गमा में कालादेश से जघन्य बावीस हजार वर्ष और अंतर्मुहून अधिक उत्कृष्ट अठासी हजार वर्ष चार भव पृथ्वीकायाका और एक सो छन्नु रात्रि दिवस आधिक. शेष छ गमा भी वेइन्द्रिय जैसे कहना. परंतु स्थिति जघन्य उत्कृष्ट गुनपञ्चास दिन की कहना और उस अनुसार संबंध भी उपयोग सहित कहना ॥ २२ ॥ यदि 4882 चमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती) सत्र 80 चौबीसवा शंतक का बारहवा उहशा. ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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