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________________ 48 ++ पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र tast जाव उववजति, पजत संखेज वासाउय सण्णिमणुस्सेणं भंते ! जे भविए णेरइएसु उववाजत्तए सेणं भंते ! कइसु पुढवीसु उववजेज्जा ? गोयमा ! सन्तसु पुढवीसु उववज्जज्जा, तंजहा रयणप्पभाए जाव अहे सत्तमाए ॥४४॥ पजत्त संखेज वासाउय सण्णिमणुस्सेणं भंते ! जे भविए रयणप्पभा पुढवीए णेरइएसु उववजित्तए सणं भंते! केवइया कालट्ठिईएसु उववज्जेज्जा ?गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्सट्रिईएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टिईएसु. उववज्जेज्जा ॥ तेणे भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजंति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कोवा दोवा तिष्णिवा उक्कोसेणं संखेजावा होवे ! अहो गौतम ! पर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न होते. परंतु अपर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले नहीं उत्पन्न होवे. अहो भगवन् ! जो पर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले नारकी में उत्पन्न होने योग्य हैं वे कितनी नरक में उत्पन्न होते हैं ? अहो गौतम ! रत्नप्रभा यावत् सातवी तमतमप्रभा में उत्पन्न होवे ॥ ४४ ॥ अहो भगवन् ! पर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले मनुष्य जो नारकी में उत्पन्न होने योग्य होते हैं वे वहां कितनी स्थिति से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! जघन्य दश हजार वर्ष भत्कृष्ट एक सागरोपम की स्थिति से उत्पन्न होते. अहो भगवन् ! एक समय में वे जीवों कितने उत्पन होते हैं चौबीमा शनक का पहिला भावार्थ ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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