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भावार्थ
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असण्णिमणुस्सेहितो उववजंति, ? गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति णो असण्णिमणुस्सेहितो उववजंति ॥ जइ सणिमणुस्सेहिंतो उववजंति किं संखेज वासाउयसण्णिमणुस्सेहिंतो उववीत असंखेजवासाउय सण्णि मणुस्सहिंतो उववजति ? गोयमा ! संखेजवासाउय सण्णिमणुस्सेहितो उववजति णो असंखेज वासाउयसीण्णमणुस्सहिंतो उववजंति ॥ .जइ संखेजवासाउय सण्णिमणुस्सेहितो उववजति किं पज्जत्तसंखजवासाउय जाव उववजंति अपजत्त जाव उववजंति ?
गोयमा ! पजत्त संखेजबासाउय जाव उववजंति णो अपजत्त संखेज वासाउय भावार्थ यदि मनुष्य में से उत्पन्न होवे नो क्या संझी मनुष्य में से उत्पन्न होवे, या असंही मनुष्य में से उत्पन्न हो?
अहो गौतम ! संज्ञी मनुष्य में से नारकी में उत्पन्न होवे परंतु असंज्ञी मनुष्य में से नारकी में उत्पन्न । होवे नहीं. यदि संज्ञी मनुष्य में से उत्पन्न होवे तो क्या संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न होवे या असंख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न होवे
परंतु असंख्यात वर्ष के आयुष्यवाले नहीं उत्पन्न होवे. यादि संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न होने 1- तो क्या पर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न होवे या अपर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले उत्पन्न ।
42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी