________________
-
शब्दार्थ
488%>
ए. यह प० पद जा० जाने त• सुने उ० अवधारे ए• यह अर्थ स• श्रद्धता हूं ५० प्रतीति करताहूं ए० ऐसे ज० जैसे तु• तुम व कहते हो त० तब थे० स्थविर भ० भगवान का कालासवेसित अ० अनगार को एक ऐसा व कहा स० श्रद्धा करो अ० आर्य प० प्रतीति करो रो० रुचिकरो ज. जैसे अ० मैं कहता हूं त० तब का कालासवेसित पुत्र अ० अनगार थे० स्थविर भ० भगवन्त को वं. वंदनकर न० नमस्कारकर इ० इच्छता हूं तु० तमारी अं० पास चा. चार महाव्रत ध० धर्म से पं० पांच म० महाव्रत सी प्रतिक्रमण सहित ध० धर्म उ• अंगीकार करके वि० विचरने को अ० यथासुख दे० देवानुप्रिय मा० नहीं ___ मा पडिबंध करेह, तएणं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदइ नमसइ
वंदित्ता नमसइत्ता चाउजामाओ धम्माओ पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंप
जित्ताणं विहरइ ॥ तएणं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे बहूणिवासाणि सामण्ण परिभावार्थ
यह अर्थ अच्छी तरह से मैंने स्वीकार किया है, अब मैं इन की श्रद्धा, प्रतीति व हार्च करता हूं आपने IF जो कहा है वैसाही भाव है. तब स्थविर भगवंत कालासवेशित पुत्र नामक अनगार को बोले की अहो} ge
आर्य ! जो मैं कहताहूं उन वचनों की तुम श्रद्धा प्रतीति व रुचि करो. तब कालासवेशित पुत्र नामक अनगारर श्री स्थविर भगवंत को वंदना नमस्कार कर के बोले की अहो भगवन् ! मैं आपकी समीप चार महाव्रत रूप धर्म से प्रतिक्रमण सहित पांच महाव्रत रूप धर्म अंगीकार करने को इच्छता हूं. तब स्थ-01
पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र पंचमाङ्ग विवाह
पहिला शतक का नववा उद्देशा