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शब्दार्थ क्रोध मा० मान मा० माया लो० लोभ कि क्या अ० आर्य ग. गहते हो का. कालासवेसित सं० संयम
केलिये से वह भ० भगवन् कि० क्या ग. गर्दा सं संयम अ० अगर्दा सं• संयम का. कालासोसित ग०. गर्दा सं० संयम नो० नहीं अ० अगर्दा सं० संयम ग० गर्दा स. मब दो दोष ५० क्षपावे स० सत्र बा० मिथ्यात्व प० जानकर ए. ऐसे आ० आत्मा स० संयम में उ• स्थिर भ० होवे उ० पुष्ट भ० होवे* उ० उपस्थित भ. हावे ए. यहां से वह का. कालासवेसित पुत्र अ० अनगार सं० स्वयं बुद्ध थे.
अणभिगमेणं, अदिवाणं अस्सुयाणं असुयाणं, अविण्णायाणं अव्वोगडाणं अव्वोच्छिण्णाणं, आणिज्जूढाणं, अणवधारियाणं. एयम, णो सद्दहिए, णोपत्तिइए णोरोइए, इयाणिं भंते ! एएसिणं पयाण जाणणयाए. सवणयाए, बोहियाए, अभिगमेणं दिवाणं सुयाणं मुयाणं विण्णायाणं, वोगडाणं, वोच्छिण्णाणं, णिज्जढाणं उवधारियाणं; एयमटुं सद्दहामि, पत्तियामि, रोएमि, एवमेयं सेजहेयं तुब्भे
वयह ॥ तएणते थेरा भगवंतो कालासवेसिय पुत्त अणगार एवं वयासी । भावार्थ
अहो अनगार ! गर्दा संयम है परंतु अगर्दा संयम नहीं है. गर्दा से सब रागादि दोषों अथवा पूर्व कृत पाप क्षय होता है और सब मिथ्यात्व ज्ञान परिज्ञान से जानकर प्रत्याख्यान परिज्ञान से छटता है इस !
तरह से हमारे मत में आत्मा स्थिर व पुष्ट होता है. ऐसा सुनकर कालासवेशित पुत्र नामक अनगारन 15 स्थविर भगवन्त को वदना नमस्कार किया. वंदना नमस्कार करके कहने लगे कि अहो भगवन् ! मुझे,
80 पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र
पहिला शतक का नववा उद्देशा