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शब्दार्थ
88 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती)
यावत् जा० जानता हूं अ० आर्य वि० कायोत्सर्ग का अर्थ त० तब का कालासवेसित पुत्र अ० अन-१० | गार थे० स्थविर भ० भगवन्त को एक ऐसा व. कहा ज. यदि अ० आर्य तु. तुम ना जानते हो सा. सामायिक जा जानते हो सा० सामायिक का अर्थ जा. यावत् जा० जानते हो वि० कायोत्सर्ग
२२५ का अर्थ के क्या अ० आर्य सा० सामायिक के क्या सा० सामायिक का अर्थ जा. यावत् के. क्या वि० कायोत्सर्ग का अर्थ त० तब थे० स्थविर भ० भगवन् का० कालासवेमित पुत्र अ० अनगार को __ अटे? तएणं ते थेरा भगवंतो कालासवसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-आयाणे
अजो! सामाइए, आयाणे अजो सामाइयस्स अटे, जाव विउस्सग्गस्स अट्ठ॥ तएणं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासी-जइ भे अजो ! आया सामाइए आया सामाइयस्स अट्टे जाव आया विउस्सग्गस्स अट्टे, अवहटु कोह माणमाया लोभे, किमटुं अजो गरहह ? कालासा ! संजमट्टयाए । से भंते ! किं गरहासंजमे, अगऐसे बोले की यदि तुम सामायिक, सामायिकका अर्थ यावत् कायोत्सर्ग का अर्थ जानते हो तो अहो आर्य !ge सामायिक क्या है, सामायिक का अर्थ क्या है, भारत कायोत्सर्ग का अर्थ क्या है ? तब स्थविर भगवंत कालासोशित पुत्र नामक अनगार को ऐसे बोले की अहो आर्य ! हमारे मतमें सामायिक गुण प्रतिपन्न जीव को ही सामायिक कही है, आत्मा को ही सामायिक का अर्थ कहां है यावत् आत्मा का ही कायो
पहिला शतकका नववा उद्देशा
भावार्थ
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