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________________ २५०४ ५१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी + बारसएणं णो बारसएणय समजिया, वारसहिय समजिया बारसएहिय णो वारस. एणय समज्जिया ? गोयमा ! णेरइया वारससमज्जियावि जाव वारसएहिय णो वारसएणय समजियावि ॥ से केणटेणं भंते ! एवं जाव समजियावि ? गोयमा ! जेणं गैरइया वारसएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं णेरइया वारस समजियावि जेणं णेरइया जहणणं एक्केणवा दोहिंवा तिहिंवा उकासेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं णेरइया णो वारस समजिया ॥ जेणं जरइया वारसएणं पवेसणएणं अण्णणय जहण्णेणं एक्केणवा दोहिंवा तिहिंवा; उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति, तेणं समार्जित हैं २ नो बारह ममानित ३ वारह नो बारह समार्जित हैं ४ बहुत बारह समार्जित हैं अथवा बहुत चारह सपार्जित नो वारस समार्जित हैं ? अहो गोतम ! नारकी में पांचों भांगे पात हैं. अहो भगवन् ! किस कारन मे ऐसा कहा है यावत् नो बारह समार्जित ? अहो गौतम ! जो नारकी वारह प्रवेशन से प्रवेश करते हैं वे वारह समार्जित हैं, जो नारकी जघन्य एक दो तीन उत्कृष्ट अग्यारह प्रवेशन से प्रवेश करते हैं वे नारकी नो चारह समानित हैं, जो नारकी वारह प्रवेशन से और जघन्य एक, दो, तीन उस्कृष्ट अग्यारह प्रवेशन से प्रवेश करते हैं वे नारकी बारह नौ बारह से समार्जित हैं. जो नारकी अनेक .प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव महायजी ज्वालाप्रसादजी. भावाथ ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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