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१२ पंचमान विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
छक्के हेय भजियाणं कयरे कयरे जाव बिसेमाहियावा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढीकाइया छोहिय समज्जिया. छ केहिय णा छऑणय समाजथा संखजगणा ॥ एवं जाव णस्सइकाइयाणं । वई दयाणं जार वमाणियाणं जहा णरइयाणं ॥ एमिणं भंते ! सिडाणं छसमजियाणं णो छ जसमजियाणं जार छोहिय णो छक्कणय समजियाणय कयरे कयरे जाव विसेसमाहिया ? गोयमा ! सवयीव सिद्धा छकहिय णो छोणय समजिया, छकहिय समजिया मखेगणा, छऋणय णो छक्केणय समजिया संखजगुणा, . छकसमज्जिया संखेजगुणा, जो छक समजिया
संखेजगुणा ॥ ११ ॥ णेरइयागं भंते ! किं बारस समजिया णो बारस समजिया विशेषाधिक हैं ? अहो गत ! पब से भी पृथ्वी कायरा बहुत छक नमाजा इ स बहुत छक्क नो छक्क समाजित संख्यात गता. एते ही य साया तक कहा. बेइन्द्रिय से वैमानिक पर्यंत
रकी जैसे कहना. अहो भगवन् ! इस छक्क ममार्जितमी छक्क सयाजित यावत् हुन छक्क समाजित में कौन किम से अला बहुत यावत् विशं माधक हैं ! अहो गैनम ! मन में थेड द्धि बहुन छक्क नो* छक्क समार्जित इस से बहुत छक्क समाजिन ख्यात गुरे इस से छक्क ना छक्क करस्य ने इस से छक्क सामर्जिव संख्यातगुने इस से नो छक सबार्जित संख्यातगुते ॥११॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी? वारह? '
- वीसवा शतक का दशा उद्देशा 4
भावार्थ
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