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सूत्र
भावार्थ
अनुवादक बलह्मवारी मुनि श्री अमोलक ऋजी
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॥ जात्र वणरसइकाया, इंदिया जाव बेमाणिया ॥ एएसिद्धा जहा पेरइया ॥ ११ ॥ एए सिणं भंते! णेरइय णं छक्कसमजिपाणं णो छक समजिय णं छणय णो छ णय सनजियाणं, छक्केहिय समजियाणं, छक्केहिय णो छक्केणय समज्जियाय करे करे जाव विसेसाहियावा ? गोयमा ! सवत्थे वा णेरइया छक्क समज्जिया, णो छक्कममजिया संखेज गुणा, छणय णो छणय समजिया संखजगुणा, छक्केहिय समनिया असंखज्जगुणा छकेहिय णां छणय समजिया संखेज्जगुणा ॥ एवं जात्र थणिषकुमारा || एएसिणं भंते ! पुढवीकाइयाणं छकेहिय समज्जियाणं छक्केहिय णो
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जैसे कहना ॥ ११ ॥ अ भगवन् ! इन छक्कममार्जित ने उक्क ममार्जित, छक्क नो छक्क गमार्जित बहुत छक मे समार्जित और बहुत छक्क तो छक्क समजत नारकी में से कौन किस ने अल्प बहुत यावत् विशेषाधिक हैं ? अहो मौनम ! म से थोडे नारकी छ नमाजित हैं. इसमें से छह ममार्जित संख्यात गुइ मे छक्क नो छक्क समजुन इन से बहुत छदा नमार्जित गरकी असंख्यात गुना इस से बहुत छक्क को छक्क नारकी संख्यात गु. ऐसे ही स्वनित कुमार पर्यंत कहना. अहो भगवन् इन बहुत छक्क सार्जित यावत् छक्क नो छक्क समार्जित पृथ्वी काया में कौन किस से अल्प बहुत यावत्
● प्रकाशक- राजा बहादुर लाला सुखद सहायजी वामसादजी *
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