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________________ भावार्थ अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी भगवंतो वाउजामं धम्मं पण्णत्रयंति ॥ ७ ॥ जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे भारहेवा से इमां से उस्सप्पिणीए कइतित्थगरा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्वीसं तित्थगरा १० तंजा-उसभ, अजय संभव, अभिनंदण, सुमइ, सुप्पभं, सुपासं, ससि. पुप्फदंत, सीयल, सेजंस, वासुपुजं, विमलं, अणतं, धम्मं, संति, कुंथुं, अरं, मल्लि, मुणिसुव्वयं, नमि, नेमिं पास बद्धमाणं ॥ ८ ॥ एएसिंणं भंते ! चउव्त्रीसाय तित्थगराणं कइजिणंतरा पणता ? गोयमा ! तेवीसं जिणंतरा पण्णत्ता ॥ ९ ॥ एएमुणं भंते ! तेवीस ए जिणंतरे करस कहिं कालियसुयस्स वोच्छेदे पण्णत्ते ? गोयमा ! एएसुणं तेवीसाए अवसर्पिणी में कितने अजित ३ संभव ४ ३ श्रेयांस १२ वासुपूज्य याम रूप धर्म प्ररूपते हैं. ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! जम्बूदीप के भरत क्षेत्र में इस तीर्थंकर कहे ? अहो गौतम ! चौवीस तीर्थकर कहे हैं. जिनके नाम १ ऋषभ २ अभिनंदन ५ सुमति ६ सुप्रभ ७ सुपार्श्व ८ चंद्रप्रभ १ पुष्पदंत १० शीतल ११ १३ विमल १४ अनंत १५ धर्म १६ शांति १७ कुंथु १८ अर १९ मल्ली २० मुनिसुव्रत २१ नमी २२ {नेमा २३ पार्श्व और २४ वर्षमान || ८ || अहो भगवन् ! इन चौविस तीर्थंकर के कितने जिनांतर कडे {हैं ? अहो गौतम ! चौविस तीर्थकर के तेवीस जिनांतर कहे हैं. ॥ ९ ॥ अहो भगवन् ! इन तेवीस जिनांतर से कौन से जिनांतर में कौनसे कालिक सूत्रोंका व्यवच्छेद हुवा ? अहो गौतम ! पहिले के आठ व छले आठ यों • प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी * २४८२
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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