SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2513
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___ AAM १४८३ 8 पंचांग विवाह पण्णचि ( भगवती) मूत्र 438 जिणंतरेसु पुरिमे पच्छिमएसु अटुसु २ जिणंतरेसु एत्थणं कालियसुयस्स अवोच्छेदे पण्णत्ते, मज्झिमएसु सत्तसु जिणंतरेसु एत्थणं कालियमुयस्स वोच्छेदे पण्णत्ते; सम्वत्थविणं वोच्छेदे दिद्विवाए ॥ ९॥ जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे भारहेवासे इमीसे उस्स प्पिणीए देवाणप्पियाणं केवइयं कालं पुज्वगए अणुसिजिस्सइ ? गोयमा ! जंबुद्दीवेणं दीवे भारहेवासे इमीसे उस्सप्पिणीए ममं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसिजिस्मइ ॥ १० ॥ जहाणं भंते ! जम्बूद्दीवे दीवे भारहेवासे इमीसे उस्सप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसिज्जिस्सइ तहाणं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहेवासे इमीसे ओसप्पिणीए अवसेसाणं तित्थंगराणं केवइयं कालं पुन्वगए अणु. लह निनांतर में कालिक सूत्रों का विच्छेद नहीं कहा है. बीच के सात जिनांतर में कालिक व्यवच्छद कहा है, मब जिनांतर में दृष्टिवाद का विच्छेद कहा है ॥ ९ ॥ अहो भगवन् ! जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इसी अवसर्पिणी में आप के संबंध पूर्वगत कितना काल तक रहेगा ? अहो गौतम ! जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में मेरा संबंधी पूर्वगत एक हजार वर्ष पर्यंत रहेगा. ॥ १० ॥ अहो भगवन् ! जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी में जैसे आप का पूर्वगत एक हजार वर्ष पर्यंत रहेगा वैसे ही इस अवपिणी. के शेष तिर्थंकरों का पूर्वगत कितना काल तक रहेगा ? अहो गौतम ! कितनेक तिर्थंकरों का संख्यात काल - 80 बीसवा शतक का पाठया उद्देशा 48 भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy