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________________ 382 280 48 पंचमांग पावव प्रज्ञप्ति ( भगवती) सूत्र आठवे शतक का-दूसरा उद्देशा. १०३१ । आठवे शतक का-पांचवा उद्देशा. १०८० १२९६ आशी (दाढ) विष का कथन ...१०३१ ३०८ सामायिक में चोरी के माल की चौकस १०८० १२९७ बिच्छू मेंडक सर्प मनुष्य का विष ...१०३२ ३०१ सामायिकवाले की स्त्री है ...१०८३ १२९८ कर्म के आशी विष का कथन ...१०३४ .३१० मत काल प्रतिक्रमण, बर्तमान संवर अना१२९९ दश बात छद्मस्त न जाने केवली जाने १०३८ गत प्रत्याख्यान इन के भेद ४९ भांगे ...१०८४ १३०० ज्ञान अज्ञान के भेदानुभेद ...१०३९ ३.११ गौशाल के श्रावकों के नाम, आचार१०९० १३०१ ज्ञान अज्ञान की लद्धि के द्वारों ...१०४४ ३०२ पांचों ज्ञान का विषय ...१०६४ आठवे शतक का-छट्ठा उद्देशा. १०९४ ३०३ पांचों ज्ञान की स्थिति व पर्यव ...१०६८ ३१२ साधुको शुद्धआहार देते एकांत निर्जरा१०९४ आठवा शतक का-तीसरा उद्देशा. १०७३ ३१३ साधु को अशुद्ध आहार देते अल्प पापी बह निर्जरा ... 5.३०४ वृक्षों के प्रकार ... ...१०७३ ३१४ असंयति को आहार देते एकांत पाप१०९५१ ३०५ शरीर के टुकडे के अंतर में प्रदेश १०७६ ३१५ आहार आदि जिस के लिये लाया ३०६ पृथ्वी का चरम अचरमपना ...१०७७ उसे ही साधु को देना ...१० ३१६ आलोचना अर्थि मर जावे तो आराधक ११०० आठवा शतक का-चौथा उद्देशा १०७९ ३२७दीपक जलते क्या जलता है ? ...११ । ३०७ कायिकादि पांचों क्रिया का ...१०७९ ३१७ शरीर से क्रिया का कथन ...११०९ 8. विषयानुक्रमाणका 20980282 Mr -
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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