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नई ‘सचे लहुए देसेसिए देसेउसिणे देसेणिद्धे देसेलुक्खे एत्थवि सोलस भंगा ॥ एए
चउसट्ठि भंगा ॥ सव्वे कक्खडे सव्वेसीए देसेगुरुए देसेलहुए देसेणिडे देसेलुक्खे एवं जाव सव्वे मउए सव्वेउसिणे देसा गुरुया देसा लहुया देसा णिहा देसा लुक्खा एत्थवि चउसट्ठि भंगा ॥ सव्वे कक्खडे सव्वेणिद्धे देसेगुरुए देसेलहुए देसेसीए देसेउसिणे जाव सव्वे मउए सव्वेलुक्खे देसागुरुया देसालहुया देसासीया देसाउसिणा एए चउसट्टि भंगा ॥ सव्वे गुरुए सब्बेसीए देसेकक्खडे देसमउए देसेणिडे
देसे लुक्खे एवं जाव सत्रे लहुए सव्वे उसिणे देसा कक्खडा देणा मउया देसा वार्थ हुवे. सब कर्कश सब शीत देश गुरु देश लघु देश स्निग्ध व देश रूक्ष ऐसे ही यावत् सर्व मृदु सर्व ऊष्ण
देश गुरु देश लघु देश स्निग्ध देश रूक्ष यों चौसठ भांगे कहना. सर्व कर्कश सर्व स्निग्ध देश गुरु देश लघु देश शीत व देश ऊष्ण यावत् सर्व मृद सर्व रुक्ष देश गुरुं देश लघु देश शीत व देश ऊष्ण अनेक वचनांत बों चौसठ भांगे हुवे. सब गुरु सब शीन, देश कर्कश देश मृदु देश स्निग्ध व देश रूक्ष ऐसे ही यावत् सब लघु सब ऊष्ण देश कर्कश देश मृदु देश स्निग्ध देश रुक्ष के चौसठ भांगे जानना. सब गुरु सब स्निग्ध । देश कर्कश देश मृदु देश शीत देश ऊष्ण पावत् सर्व लघु सब रूक्ष देश कर्कश देश मृदु देश शीत देश
2. अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी के
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी चालाप्रसादजी