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18+ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूष 48
सवे गुरुए सवेसीए सम्वे गिद्धे देसे कक्खडे देसे मउए ४, एत्थवि बत्तीस भंगा एवं सव्वेते पंचफासे, अट्ठावीसं भगसयं भवति ॥ जइ छप्फासे-सब्बेकक्खडे सब्बे गुरुए देसेसिए देसेउसिणे देसेणिडे देसेलुखे १, सव्वे कक्खडे सव्वे गुरुए देसेसीए देसे उसिणे देसेणिद्धे देसालुक्खा २, एवं जाव सब्वेकक्खडे सब्वेगुरुए देसासीया देसाउसिणा देसाणिद्धा देसालुक्खा ॥ एए सोलस भंगा ॥ सव्वे कक्खडे सब्वे लहुए . देसेसीए देसेउसिणे देसेणिद्धे देसेलुक्खे एत्थवि सोलस भंगा ॥ सव्वे मउए सब्वे
गुरुए देसेसीए देसेउसिणे देसेणिढे देसेलुक्खे एत्थवि सोलस भंगा ॥ सब्वे मउए स्पर्श के सब मीलकर १२८ भांगे पांच स्पर्श के होवे यदि छ स्पर्श हो तो सर्व कर्कश, सर्व गुरु देश में शीत देश ऊष्ण देश स्निग्धदेश रूक्ष २ सर्व कर्कश सर्व गुरु देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध एक देश कक्ष
अनेक वचनांत ऐसेही यावत् सर्व कर्कश सर्व गुरु देश शीत, देश ऊष्ण, देश स्निग्ध व देश रूक्ष अनेक ईयों सोलह भांगे करना. सर्व कर्कश सर्व लघु देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध व देश कस के भी सोलह भांगे जानना. सपमृदु सबगुरु देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध देश रूक्ष के भी सोलह मांगे करना और सब मृदु सब लघु देश शीतदेश ऊष्णदेश स्निग्ध व देशरूम के भी सोलहभांमे करना. यों कर्कश मुदुके चौसठभागे ।
____488 बीसवा शतक का पांचवा उद्देशा
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