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________________ 488 विवाह पण्णति ( भगवती ) मूत्र ++ पं..? गायमा ! चउविवहा सणाणिवत्ती प० तंजहा-आहारसण्णाणिवत्ती जाक परिग्गह सण्णाणिवत्ती ॥ एवं जाव वेमाणिया ॥ ११ ॥ कइविहाणं भंते ! लेस्साणिवत्ती पं० ? गोयमा! छव्विहा लेस्साणिवत्ती पं. तंजहा-कण्हलेस्साणिवत्ती जाव सुक्कलेस्साणिवत्ती ॥ एवं जाव वेभाणिया, जस्स जइ लेस्साओ तस्स तत्तिया । भाणियब्बा ॥ १२ ॥ कइविहाणं भंते ! दिदिणिन्चत्ती ५०? गोयमा ! तिविहा. दिद्विणिवत्ती ५० तंजहा- सम्मदिदिणिवत्ती मिच्छादिट्ठिणिवत्ती, सम्ममिच्छादिट्टिणिवत्ती, एवं जाव वेमाणिया' जस्स जइविहा दिट्ठी अहो गौतम ! मंज्ञा निवृत्ति के चार भेद कह हैं आहार संज्ञा निर्वति यावत् परिग्रह संशा निर्वृत्ति. ऐसे ही वैमानिक पर्यंत कहना ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! कितनी लेश्या निवृत्ति कही ? अहो गौतम छ लेश्यानिवृत्ति कही ? कृष्ण लेश्या निर्वृत्ति यावत् शुक्ल लेश्या, निवृत्ति. ऐसे ही वैमानिक पर्यंत जिन को जितनी लेश्याओं होवे उन को उतनी लेश्या निवृत्ति कहना ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! दृष्टि निवृति कितनी कही ? अहो गौतम ! दृष्टि निर्वृत्ति तीन कही समदृष्टि निवृत्ति मिथ्यादृष्टि निवृत्ति व सम मिथ्याष्टि निर्वृत्ति ऐसे ही वैमानिक पर्यंत जिन को जितनी दृष्टि होवे उन को उतनी दृष्टि निवृत्ति कहना ॥ १.३॥ अहो । उनीसवा शतक का आठवा उद्देशा. 488 भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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