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________________ | २३२० श्री अमोलक ऋषिजी दीय वीससाबंधेय ॥ ११ ॥ पओग वीससाबंधणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते, मागंदिय पुत्ता ! दुविहे पण्णते, तंजहा-सिढिलबंधण बंधेय, घणियबंधण बंधेय ॥ १२ ॥ भावबंधेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे पण्णते तंजहा-मूलपगाडि बंधेय उत्तरंपगडिबंधेय ॥ १३ ॥ णेरइयाणं भंते ! कइविहे भावबंधे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे पण्णत्ते, मूलपगडिबंधेय, उत्तरपगडिबंधेय ; एवं जाव वेमाणियाणं ॥ १४ ॥ णाणावरणिजस्सणं भंते ! कम्मस्स कइविहे भावबंधे पण्णत्ते ? * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ 9 अनुवादक-बालब कितने भेद कहे हैं ? सादी वीससा बंध व अनादि वीससा बंध ॥ ११॥ अहो भगवन् ! प्रयोग वीससा बंध के कितने भेद कहे हैं? अहो माकंदिय पुत्र ! प्रयोग वीससा बंध के दो भेद कहे हैं ? शिथिल धन बंध और धनित बंधन बंध. ॥१२॥ अहो भगवन् ! भाव बंध के कितने भेद कहे हैं ? अहो माकंदिय पुत्र ! भाव बंध के दो भेद कहे हैं. मूल प्रकृति बंध व उत्तर प्रकृति बंध ॥ १३ ॥ अहो भगवन् ! नारकी को कितने भाव बंध कहे हैं ? अहो माकंदिय पुत्र ! नारकी को दो प्रकार के भाव बंध कहे हैं. मूल प्रकृति बंध और उत्तर प्रकृति बंध. ऐने ही वैमानेिक पर्यंत जानना ॥ १४ ॥ अहो भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म के कितने भाव बंध कहे हैं ? अहो माकंदिय पुत्र! ज्ञानावरणीय कर्म के दो भाव बंध कहे हैं.
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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