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________________ सूत्र भावार्थ * पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र पण्णत्ता तंजा मणज़ोगचलणा वइजोगचलणा कायजोग चलणा ॥ १८ ॥ से केणटुणं भंते! एवं वृच्चइ ओरालियसरीर चलणा ? ओरालिय सरीर चलणा गोयमा ! जंणं जीवा ओरालिय सरीरे वट्टमाणा ओरालिय सरीरप्पाओगाई दव्बाई ओरालिय सरीरत्ताए परिणामेमाणे ओरालिय सरीर चलणं, चलिंसुवा चलति चलिस्संतिवा से तेणट्टेणं जाव ओरालिय सरीरचलणा २ ॥ से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ वेउब्विय सरीर चलना ? वेडन्विय सरीर चलणा एवं चैव वरं वेउव्त्रिय सरीरे बट्टमाणेएवं जाव कम्मग सरीर चलणा से केणट्टेणं भंते!एवं वुच्चइ सोइंदिय चलणा सोइंदिय चलणा जंणं जीवा सोइंदियवट्टमाणा सोइंदियप्पाओग्गाइं दव्वाई सोइंदियत्ताए परिणामेमाणे सोइंदिय चलणं चलिंसुवा ! अहो गौतम ! योग चलना के तीन भेद कहे हैं १ मनयोग चलना २ वचन वचन योग चलना व काया योग चलना ॥ ८ ॥ अहो भगवन् ! उदारिक शरीर की चलना क्यो कहीं ? अहां गौतम! उदारिक शरीर में रहने वाले जीवों उदारिक शरीर प्रायोग्य द्रव्य को उदारिक शरीरपने परिणमा उदारिक शरीर की चलना की, करते हैं व करेंगे इसलिये ऐसा कहा गया है कि उदारिक शरीर की चलना. ऐसे ही वैक्रेय, आहारक, तेजस कार्माण शरीर का जानना ॥ ९ ॥ अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया है कि श्रोत्रेन्द्रिय चलना ? अहो गौतम ! श्रोत्रेन्द्रिय में रहनेवाले जीवों श्रोत्रेन्द्रिय सतरहवा शतक का तीसरा उद्देशा २२७३
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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